Maglev train (मैग्लेव ट्रेन) इलैक्ट्रोमैग्नैटिक शक्ति की वजह से पटरी से कोई 10 मिलीमीटर ऊपर हवा में चलती है। ये ट्रेन मैग्लेव टेक्नोलॉजी पर चलती है, जो ट्रेन को पटरियों के ऊपर उठाने और गति देने के लिए मैग्नेटिक फोर्स का इस्तेमाल करता है। रफ्तार को बढ़ाने के लिए लिए ट्रेन को खास तरह से डिजाइन किए गए लो-वैक्यूम ट्यूब से गुजारा जाता है। ट्रेन की नई स्पीड ने भविष्य में हाई स्पीड टेस्ट ट्रांसपोर्ट निर्माण के लिए टेक्नोलॉजी की नींव रखी है। आने वाले समय में और भी तेज स्पीड ट्रेन पकड़ सकती है।
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Maglev train ने बनाया तेज स्पीड का नया रेकॉर्ड
बीजिंग: चीन की मैग्नेटिकली लैविटेटेड यानी मैग्लेव ट्रेन ने तेज स्पीड के मामले में नया रेकॉर्ड बना दिया है। चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड इंडस्ट्री कॉरपोरेशन (सीएएसआईसी) ने बताया है कि उसकी मैग्लेव ट्रेन ने अक्टूबर 2023 में परीक्षण के दौरान 387 मील प्रति घंटे (623 किलोमीटर प्रति घंटे) से अधिक की रेकॉर्ड गति हासिल की। यह स्पीड सुपरकंडक्टिंग मैग्लेव वाहनों के लिए एक नया मील का पत्थर स्थापित करती है। सीएएसआईसी ने एक ऐसी ट्रेन बनाने की महत्वाकांक्षा व्यक्त की है जो इससे तीन गुना से भी अधिक तेज हो, इसका लक्ष्य हवाई जहाज की गति को पार करना है।
मैग्लेव ट्रेन की स्पीड क्या है?
सीएएसआईसी की तीसरी अकादमी ने परीक्षण को महत्वपूर्ण सफलता बताया है। इससे पहले उच्च तापमान सुपरकंडक्टिंग मैग्लेव तकनीक का एक समान परीक्षण 380 मीटर ट्रैक पर 145 मील प्रति घंटे (234 किलोमीटर प्रति घंटे) की गति तक पहुंच गया था। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, परीक्षण के अगले चरण में सीएएसआईसी ने ट्रैक को 37 मील (60 किलोमीटर) तक बढ़ाने और ट्रेन को 621 मील प्रति घंटे (1,000 किलोमीटर प्रति घंटे) तक की गति तक बढ़ाने की योजना बनाई है। इससे मैग्लेव ट्रेन अधिकांश यात्री जेटों की तुलना में तेज हो जाएगी, जो आमतौर पर 575 और 600 मील प्रति घंटे (925 और 966 किलोमीटर प्रति घंटे) के बीच की गति से उड़ान भरते हैं।
हवा में चलती है ये ट्रेन
मैग्लेव ट्रेन इलैक्ट्रोमैग्नैटिक शक्ति की वजह से पटरी से कोई 10 मिलीमीटर ऊपर हवा में चलती है। ये ट्रेन मैग्लेव टेक्नोलॉजी पर चलती है, जो ट्रेन को पटरियों के ऊपर उठाने और गति देने के लिए मैग्नेटिक फोर्स का इस्तेमाल करता है। रफ्तार को बढ़ाने के लिए लिए ट्रेन को खास तरह से डिजाइन किए गए लो-वैक्यूम ट्यूब से गुजारा जाता है। यह अब तक की प्रणालियों की तुलना में सबसे तीव्र गति की है। इसकी मदद से ही ट्रेन इतनी ज्यादा स्पीड हासिल करती है, जो किसी जैट विमान की गति होती है। सीएएसआईसी ने कहा है कि इस टेस्ट से यह साबित हो गया है कि व्हीकल ट्यूब और ट्रैक अच्छी तरह से एक साथ काम कर सकते हैं, जिससे भारी मैग्लेव व्हीकल लगातार ऊपर उठे रहते हैं। स्ट्रांग मूवमेंट सिस्टम और सिक्योरिटी कंट्रोल भी उम्मीद के मुताबिक काम कर रहे हैं। चीनी एजेंसियां अगली पीढ़ी के कमर्शियल एयरोस्पेस इलेक्ट्रोमैग्नेटिक लॉन्च सिस्टम पर भी काम कर रही हैं।
मैग्लेव ट्रेन का आविष्कार किस देश ने किया था?
जर्मनी में, ट्रांसरैपिड ने डाउनटाउन शंघाई (शंघाई मेट्रो) से पुडोंग इंटरनैशनल एयरपोर्ट तक जाने वाले शंघाई मैग्लेव ट्रेन नामक दुनिया के सबसे पहले संचालनीय उच्च-गति पारंपरिक मैग्लेव रेलवे का निर्माण किया।
मैग्लेव ट्रेन कितने देशों में है?
वर्तमान में चीन के पास सिर्फ मैग्लेव लाइन कमर्शियल उपयोग में है. यह लाइन शंघाई के पुडोंग हवाई अड्डे को शहर के लोंगयांग रोड स्टेशन से जोड़ती है और इस ट्रैक पर ट्रेन 30 किलोमीटर की यात्रा सिर्फ साढ़े 7 मिनट पूरी कर देती है. इस ट्रेन में एक बार में 88 लोग सफर कर सकते है।
शंघाई मैग्लेव ट्रेन का निर्माण किसने किया था?
ट्रेन का निर्माण चीन की सरकार और जर्मनी में सीमेंस-थिसेनक्रुप जेवी (संयुक्त उद्यम) द्वारा किया गया था। ट्रेन का विद्युतीकरण वाहले, इंक. द्वारा विकसित किया गया था। दो वाणिज्यिक मैग्लेव प्रणालियाँ शंघाई प्रणाली से पहले की थीं: यूनाइटेड किंगडम में बर्मिंघम मैग्लेव और बर्लिन एम-बान।
दुनिया की सबसे तेज ट्रेन किस देश की है?
दुनिया की सबसे तेज बुलेट ट्रेन चीन की मैग्लेव है. इस ट्रेन की टॉप स्पीड 600 किलोमीटर प्रति घंटा है. मैग्लेव तकनीक मूल रूप से जर्मनी की है, जिसे चीन ने अपने यहां अडॉप्ट कर लिया. इससे पहले चीन की सबसे तेज बुलेट ट्रेन शंघाई मैग्लेव (Shanghai Maglev) थी।